कई बार घर में पैसे और अन्य किस्म की सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी क्लेश खत्म नहीं होता। इसके पीछे की वजह वास्तुदोष हो सकता है हालांकि वास्तुशास्त्
कई बार घर में पैसे और अन्य किस्म की सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी क्लेश खत्म नहीं होता। इसके पीछे की वजह वास्तुदोष हो सकता है हालांकि वास्तुशास्त्र पर कुछ लोग यकीन करते हैं तो कुछ नहीं। आज हम आपको वास्तुदोष से जुड़ी ऐसी बातें बताते हैं जिनकी वजह से गृह क्लेश होता है। अगर इन सब का ख्याल रखा जाएं तो क्लह-क्लेश से छुटकारा पाया जा सकता है।
इन बातों का खास तौर पर जरूर रखें ध्यान
– रसोईघर अगर दक्षिण-पूर्व में और बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में बच्चों का बैडरूम उत्तर-पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में नहीं हैं तो यह घर में लड़ाई झगड़े का कारण बनता है।
– घर का दरवाजा और खिड़कियां पूर्व या उत्तर में हो।
– दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो।
– पूजा के लिए ईशान कोण हो या भगवान का मुख ईशान में हो।
– उत्तर या पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएं।
– पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएं।
– शाम को घर में सांध्यदीप जलाएं और आरती करें।
– इष्टदेव का ध्यान और पूजन अवश्य करें।
– भोजन के बाद झूठे थाली लेकर अधिक देर तक न बैठें। न ही झूठें बर्तन देर तक सिंक में रखें।
– घर का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। प्रवेश द्वार के समक्ष सीढियाॅ व रसोई नहीं होनी चाहिए । प्रवेश द्वार भवन के ठीक बीच में नहीं होना चाहिए। भवन में तीन दरवाजे एक सीध में न हो ।
– भवन में कांटेदार वृक्ष व पेड़ नहीं होने चाहिए ना ही दूध वाले पोधे-कनेर, आॅकड़ा केक्टस आदि। इनके स्थान पर सुगन्धित एवं खूबसूरत फूलों के पौधे लगाए।
– घर में युद्ध के चित्र, बन्द घड़ी, टूटे हुए काॅच, तथा शयन कक्ष में पलंग के सामने दर्पण या ड्रेसिंग टेबल नहीं होनी चाहिए ।
– मुख्य द्वार पर मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक, ऊँ आदि अंकित करने के साथ-साथ गणपति लक्ष्मी या कुबेर की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए ।
– मुख्य द्वार के सामने मन्दिर नहीं होना चाहिए । मुख्य द्वार की चैड़ाई हमेशा ऊंचाई की आधी होनी चाहिए ।
– मुख्य द्वार के समक्ष वृक्ष, स्तम्भ, कुआं तथा जल भण्डारण नहीं होना चाहिए । द्वार के सामने कूड़ा कर्कट और गंदगी एकत्र न होने दे यह अशुभ और दरिद्रता का प्रतिक हैं ।
– घर का प्लास्टर उखड़ा हुआ नहीं होना चाहिए चाहे वह आंगन का हो, दीवारों का या रसोई अथवा शयनकक्ष का। दरवाजे एवं खिड़किया भी क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए। मुख्य द्वार का रंग काला नहीं होना चाहिए। अन्य दरवाजों एवं खिडकी पर भी काले रंग के इस्तेमाल से बचें।
– धनलाभ हेतु जेवर, चेक बुक, केश बुक, ए.टी.एम. कार्ड, शेयर आदि सामग्री अलमारी में इस प्रकार रखें कि अलमारी प्रयुक्त करने पर उसका द्वार उत्तर दिशा में खुले। अलमारी का पिछवाड़ा दक्षिण दिशा में होना चाहिए ।
अगर घर में गृह क्लेश हैं तो ऊपर दिए गए बातों की तरफ गौर करें।
COMMENTS