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शिवलिंग पर कच्चा दूध क्यों चढ़ाया जाता है-आइए जानते हैं डॉ संजय आर शास्त्री

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के विशेष नियम बनाए गए हैं और इससे मनुष्य की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि शिवल

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महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के विशेष नियम बनाए गए हैं और इससे मनुष्य की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि शिवलिंग

हिंदू धर्म में सभी त्यौहारों का विशेष महत्व है। हर एक पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और इन्हें मनाने का अलग तरीका भी होता है। ऐसे ही प्रमुख त्यौहारों में से एक है महाशिवरात्रि का पर्व। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था और इसी वजह से इसे खास माना जाता है।
यह पर्व हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 18 फरवरी, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त उन्हें पसंद करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और साथ में कच्चा दूध भी चढ़ाते हैं।

मान्यता है कि जो व्यक्ति शिवलिंग पर दूध चढ़ाता है उसकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानते हैं डॉ संजय आर शास्त्री जी से जानें कि आखिर शिवलिंग पर कच्चा दूध क्यों चढ़ाया जाता है और इसका महत्व क्या है।

शिवलिंग पर कच्चा दूध क्यों चढ़ाया जाता है?
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना विशेष रूप से भक्तों के लिए फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। दूध को सकारात्मक ऊर्जा के सबसे अच्छे संवाहकों में से एक माना जाता है और ज्योतिष के अनुसार जब शिवलिंग पर दूध डाला जाता है तब ऊर्जा का प्रवाह लिंगम की ओर केंद्रित होने लगता है और भक्तों के मन मस्तिष्क में भी ऊर्जा का प्रवाह होता है।
शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने के वैज्ञानिक कारण
शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने के पीछे आस्था और प्रार्थना के अलावा वैज्ञानिक तर्क भी मौजूद हैं। विज्ञान की मानें तो शिवलिंग पर प्रवाहित होने वाला द्रव ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।

दरअसल मंदिर में कई तरह के लोगों का आगमन होता है और यहां सकारात्मक के साथ नकारात्मक ऊर्जा भी समान रूप से जमा होती है और शिवलिंग पर लगातार दूध और पानी डालने से ऊर्जा का स्तर उच्च रहता है और यही कारण है कि जब हम मंदिर में प्रवेश करते हैं तब हम ऊर्जावान महसूस करते हैं।

क्या शिवलिंग पर उबला हुआ दूध भी चढ़ाया जा सकता है?
ज्योतिष में मान्यता है कि शिवलिंग पर हमेशा कच्चा दूध ही चढ़ाना चाहिए क्योंकि इसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शिवजी का मस्तिष्क शांत और ठंडा रहता है। जब दूध उबाला जाता है तो उसे पका हुआ माना जाता है।

इस प्रकार उसे नैवेद्यम के लिए ही अर्पित करना चाहिए न कि शिवलिंग अभिषेक के लिए। उबला हुआ दूध पके हुए खाने की ही तरह जल्दी खराब हो सकता है। उबले हुए दूध के खराब होने के गुणों की ही वजह से इसे शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही होती है। आपको उबले हुए दूध को ठंडा करके भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग पर दूध कब चढ़ाना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है
ऐसी मान्यता है कि यदि मुख्य रूप से आप महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाते हैं तो ये आपके जीवन के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा सोमवार और श्रावण मास को भी दुग्ध अभिषेक का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से मिलते हैं शुभ फल
मान्यता है कि शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने के साथ जलाभिषेक करना भी शुभ होता है। इसके साथ आप उन्हें बेल पत्र चढ़ा सकते हैं। शिव पूजन में गाय के दूध या दही का उपयोग करना सबसे अच्छा माना जाता है।
शिवलिंग पर आप नारियल चढ़ा सकते हैं, लेकिन नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली प्रत्येक वस्तु निर्मलया कहलाती है, जिसे नदियों, झीलों और समुद्र को छोड़कर कहीं भी उपभोग करने या डालने से मना किया जाता है।
शिवलिंग (शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करनी चाहिए) पर त्रिशूल अंकित करने के लिए सफेद सामान्य चंदन या अष्टगंधा का प्रयोग किया जा सकता है।
कभी भी किसी भी फूल या चंदन की लकड़ी या सुगंध को अर्पित करने से पहले सूंघे नहीं जिसे आप भगवान को अर्पित करना चाहते हैं क्योंकि ऐसा करके पहले आप स्वयं इसका उपयोग कर रहे हैं और पूजा में इस्तेमाल की गई वस्तु का इस्तेमाल सबसे पहले ईश्वर को ही करना चाहिए।
शिवलिंग पर हमेशा गुड़हल का फूल और धतूरा चढ़ाएं। भगवान को कभी भी केतकी का फूल न चढ़ाएं।
यदि आप सही तरीके से शिव पूजन करते हैं और श्रद्धा भाव से शिव जी पर कच्चा दूध चढ़ाते हैं तो आपको भविष्य में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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