विवाह एक संस्कार के रूप में देखा जाता है। वैसे तो कहा जाता है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं। लेकिन कई बार ऐसा देखा जाता है कि लड़का या लड़की विवाह यो
विवाह एक संस्कार के रूप में देखा जाता है। वैसे तो कहा जाता है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं। लेकिन कई बार ऐसा देखा जाता है कि लड़का या लड़की विवाह योग्य हो चुके हैं, लेकिन किसी न किसी कारण से विवाह तय होने में लगातार देरी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह में देरी का कारण कुंडली दोष हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल, शनि, सूर्य, राहू और केतु को विवाह में विलंब का कारक बताया गया है। कुंडली के सप्तम भाव में अशुभ व क्रूर ग्रह स्थित हो और सप्तम स्थान के कमजोर होने से शादी में देरी होती है। जो जातक घोर मंगली होते हैं उनकी शादी का योग भी 28 साल के बाद बनता है। अगर कुंडली के सप्तम स्थान में नीच के शनि, मंगल और राहु ग्रह स्थित हैं तो भी विवाह में विलंब होता है। ज्योतिष के अनुसार आज हम आपको कुछ ऐसे अचूक उपाय बताने जा रहे हैं जिनसे शीघ्र विवाह के योग बनेंगे
जल्द विवाह के ज्योतिषी उपाय
गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करने से जल्दी विवाह के योग बनते हैं। गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा अवश्य करें। बृहस्पति देव को पीले रंग का वस्त्र, हल्दी, पीला फल, पीले फूल, चने की दाल और केला चढ़ाएं।
लड़की के विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए पांच नारियल शिवलिंग के आगे रख कर ‘ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः’ मंत्र का पांच माला का जाप करें। जाप के बाद पांचों नारियल शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से विवाह के योग जल्द बनेंगे।
गुरुवार के दिन अपने नहाने के पानी में थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी डाल कर नहाना चाहिए। भोजन में पीली चीजें और केसर का सेवन करने से भी जल्दी विवाह के योग बनते हैं।
जल्द विवाह की मनोकामना को पूरा करने के लिए प्रतिदिन सुबह भगवान गणेशजी के साथ रिद्धि-सिद्धि की भी पूजा करें।
विवाह योग्य कन्याओं को मां पार्वती की पूजा के दौरान सुहाग की चीजें जरूर चढ़ाएं।
विवाह में देरी का कारण
जब किसी जातक की कुंडली के चौथे भाव या फिर लग्न भाव में मंगल ग्रह विराजमान हो और सातवें भाव में शनि बैठे हों तो व्यक्ति की इच्छा शादी करने की नहीं होती है।
जब किसी जातक की कुंडली के सातवें भाव में शनि और गुरु हो तो शादी में देरी होती है।
चंद्र की राशि कर्क से गुरु सातवें भाव में होने से विवाह में तमाम तरह की बाधाएं आती हैं।
जब किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव, सप्तम भाव और 12वें भाव में गुरु या शुक्र ग्रह योगकारक नहीं होते हैं विवाह में बाधाएं आती हैं।
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