कुष्‍मांडा देवी की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इन्‍हें आदिशक्ति या आदिस्‍वरूपा भी  कहा जाता है कि क्‍योंकि इस ब्रह्मांड की जब रचना होनी थी, तब देवी कुष्‍मांडा ने ही अपनी शक्ति से इस ब्रह्मांड को बनाया और अंधकार दूर किया।

आपको बता दें कि देवी कुष्‍मांडा सिंह की सवारी करती हैं और इनका वास सूर्यमंडल में होता है। जीवन में आपको कोई परेशानी है तो आपको सच्‍चे मन से देवी की आराधना करनी चाहिए। इससे आपकी तकलीफें दूर हो जाती हैं और आपको सुख-समृद्धि प्राप्‍त होती है।

देवी कुष्मांडा पूजा शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्‍मांडा की पूजा की जाती है। इस दिन देवी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4:23 बजे तक रहेगा।

 

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देवी कुष्मांडा जी की सरल आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी माँ भोली भाली॥

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।

सुख पहुँचती हो मां अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

देवी कुष्मांडा का बीज मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम:

इस मंत्र का जाप आपको 108 बार जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से देवी प्रसन्‍न होती हैं।

देवी कुष्मांडा जी की पूजा विधि

देवी कुष्‍मांडा की पूजा में कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्‍ते और केसर आदि चढ़ाया जाता है। देवी कुष्‍मांडा की पूजा अविवाहित लड़कियां करती हैं, तो उन्‍हें मनचाहे वर की प्राप्‍ती होती है। पूजा के दौरान देवी कुष्‍मांडा को मालपुए का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और इस भोग को खुद तो ग्रहण करें ही साथ ही ब्राह्मणों को भी दान देना चाहिए। देवी कुष्‍मांडा को इसके अलावा हरे रंग के वस्‍त्र, हरे रंग की चूड़ी और हरी मिठाई भी अर्पित करनी चाहिए। देवी को कमल का फूल भी अतिप्रिय है तो आप वह भी उन्‍हें अर्पित कर सकती हैं।

किन राशि के जातकों को करनी चाहिए देवी कुष्मांडा की पूजा

अगर आपकी राशि सिंह है तो आपको मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी सारी मनोकामना पूरी होती है।

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शुभ रंग

हरा रंग देवी कुष्‍मांडा को अति प्रिय है और अगर आप देवी की पूजा के वक्‍त हरे रंग के वस्‍त्र पहनती हैं तो आपको बहुत अच्‍छे फलों की प्राप्ति होती है।

देवी कुष्मांडा जी के मंदिर

देवी कुष्‍मांडा को ब्रह्मांड की उत्‍पत्ति करने वाली देवी बताया

गया है। कुष्‍मांडा देवी का एक चमत्‍कारी मंदिर कानपुर जिले में स्थित घाटमपुर कस्‍बे में है। यहां पर मौजूद देवी की पिंडी से पानी रिस्‍ता रहता है और जो कोई भी 6 महीने लगातार पिंडी से रिसने वाले पानी को यदि कोई अपनी आंखों पर लगाता है तो आंखों से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं।

देवी कुष्मांडा की पूजा का फल

आपके शरीर में कोई भी रोग है तो आपको देवी कुष्‍मांडा की पूजा करनी चाहिए क्‍योंकि इससे आपकी बीमारी दूर हो जाएगी या फिर उसका प्रभाव कम हो जाएगा। मगर इस बात का ध्‍यान रखें कि आपको देवी पर पूरा विश्‍वास रखना होगा।