बैसाख महीने की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्‍व है। वैसे तो इस दिन भगवान श्री विष्‍णु जी के अवतार परुषराम जी का जन्‍मदिवस होता है, मगर इस दिन श्री कृष्‍ण के चरणों के दर्शन अनिवार्य होते हैं।

श्री कृष्‍ण की नगरी वृंदावन नगरी में इस दिन भक्‍तों की भीड़ केवल बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन के लिए पहुंचते। हालांकि, यह सभी के लिए मुमकिन नहीं है कि वह बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए वृंदावन पहुंच सकें। ऐसे में आपके घर में यदि लड्डूगोपाल विराजमान हैं तो उन्‍हीं के चरणों के दर्शन कर सकती हैं। इसके लिए आप घर में ही लड्डू गोपाल की विशेष पूजा कर सकती हैं।

हमने डॉ संजय आर शास्त्री जी से इस विषय पर बात की और जाना कि अक्षय तृतीया के दिन लड्डू गोपाल जी की पूजा कैसे करनी चाहिए। पंडित जी कहते हैं, ‘इस दिन श्री कृष्‍ण के विग्रह स्‍वरूप की पूजा की जाती है। इसकी पूजा विधि थोड़ी अलग है।’

 

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क्‍या होती है पूजा सामग्री?

इस दिन पूजा में तिल, चंदन, जनेऊ और ढेर सारे फूलों के साथ-साथ लड्डू गोपाल को नए वस्‍त्र और तुलसी आदि चढ़ती है। बाकि उनकी पूजा में धूप, अगरबत्‍ती के साथ-साथ कपूर का इस्‍तेमाल भी किया जाता है।

कैसे होती है पूजा?

  • आपको सबसे पहले लड्डू गोपाल को स्‍नान करना है। इसके लिए आपको दूध, शहद, दही, गंगा जल और घी का आवश्‍यकता पड़ेगी।
  • फिर आप लड्डू गोपाल के चरणों में ढेर सारा चंदन का लेप लगाएं। यह उन्‍हें ठंडक पहुंचाता है और इसकी सुगंध से लड्डू गोपाल बहुत अधिक प्रसन्‍न भी होते हैं।
  • इसके बाद उन्‍हें जनेऊ और काला तिल चढ़ाएं और उनके पैरों को फूलों से ढक दें। इसके बाद आप उनकी आरती करें।
  • साथ ही उन्‍हें नए वस्‍त्र और आभूषण भी चढ़ाएं। यदि आप इस तरह से अक्षय तृतीया वाले दिन लड्डू गोपाल के दर्शन करते हैं, तो आपको बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • हो सके तो इस दिन लड्डू गोपाल का पीला श्रृंगार करना चालिए और प्रसाद में उन्‍हें पीले पेड़े या लड्डू का भोग लगाएं और भोग में तुलसी रखना न भूलें।

इस दिन आप लड्डू गोपाल के साथ राधारानी की भी पूजा करें और उन्‍हें अपनी आस्‍था एवं क्षमता अनुसार किसी भी धातु का आभूषण अर्पित करें। आप इस दिन यदि कांच की चूड़ी भी राधा रानी को अर्पित करती हैं, तो आपको उनका अपार आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

 

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सुदामा और द्वारिकाधीश की कहानी

कथा अनुसार जिस दिन श्री कृष्‍ण के निर्धन मित्र श्री सुदामा जी उनसे मिलने द्वारिका पहुंचे थे, उस दिन अक्षय तृतीया का दिन था। ऐसे में कहा जाता है कि आप इस दिन यदि श्रीकृष्‍ण के साथ-साथ सुदामा जी की पूजा या फिर श्रीकृष्‍ण की मित्र स्‍वरूप में पूजा करती हैं तो भी आपको लाभ पहुंचता है।