नाग पंचमी का पर्व, इन मंत्रों के साथ करें नाग देवता की पूजा, दूर होंगे काल सर्प जैसे दोष

शुक्रवार को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता की उपासना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। नाग देवता की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप जरूर करें।

9 अगस्त, शुक्रवार को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाने का विधान है। बता दें कि कई नाग पंचमी को गुड़िया का पर्व के रूप में भी जाना जाता है। नाग पंचमी के  दिन नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा करने से कुंडली से काल सर्प जैसे दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा भक्तों पर नाग देवता की विशेष कृपा बरसती है। नाग पंचमी के दिन इन नौ नाग देवताओं की उपासना करने से समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में अपार सफलता की प्राप्ति होती है। इन नौ नाग देवताओं के नाम हैं- अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शङ्खपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया। तो आइए जानते हैं नाग पंचमी शुभ मुहूर्त और मंत्र के बारे में।

नाग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त

  • नाग पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त- 9 अगस्त 2024 को सुबह 5 बजकर 47 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक

नाग पंचमी 2024

दक्षिण भारत में नाग पंचमी के दिन लकड़ी की चौकी पर लाल चंदन से सर्प बनाये जाते हैं। मिट्टी के पीले या काले रंगों के सांपों की प्रतिमाएं बनायी या खरीदी जाती हैं और उनकी दूध से पूजा की जाती है। कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर उस दीवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से अथवा गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं ।

नाग पंचमी का महत्व

हमारे देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान रहा है। विष्णु जी शेष नाग की शैय्या पर सोते हैं और भगवान शंकर अपने गले में नागों को यज्ञोपवीत के रूप में रखते हैं। भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने अपने को सर्पों में वासुकि और नागों में अनंत कहा है।  नाग पंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिए और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये मनाया जाता है। लिहाजा अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आज आपको इन आठ नागों की पूजा करनी चाहिए- वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय।

नाग पंचमी पूजा मंत्र

1. सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

2. अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

3. ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।। –

4. ॐ सर्पाय नमः

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