भारतीय ज्ञान प्रणाली पर कार्यशाला का आयोजन – आईसीएफएआई विश्वविद्यालय, देहरादून
आईसीएफएआई विश्वविद्यालय, देहरादून ने 11 से 13 दिसंबर 2024 तक “भारतीय ज्ञान प्रणाली” पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। आईसीएफएआई एजुकेशन स्कूल (IEdS) और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह कार्यशाला राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा मान्यता प्राप्त थी। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान और दर्शन को आधुनिक जीवन के संदर्भ में समझना और उसे दैनिक जीवन में उपयोगी बनाना था। कार्यशाला की शुरुआत “माइंड कंट्रोल” सत्र से हुई, जिसमें मानसिक अनुशासन, ध्यान केंद्रित करने और आंतरिक शांति प्राप्त करने के प्राचीन भारतीय तरीकों का परिचय दिया गया। इस सत्र में मन, शरीर और आत्मा के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए मानसिक स्पष्टता को बढ़ाने पर जोर दिया गया।
दूसरे सत्र “ट्रैप्ड – ओवरकमिंग डिजिटल डिस्ट्रैक्शन” में, डिजिटल युग में स्क्रीन और नोटिफिकेशन से उत्पन्न विकर्षणों के प्रभाव पर चर्चा की गई। इस सत्र ने प्रतिभागियों को डिजिटल उपकरणों के साथ अधिक सचेत और उत्पादक संबंध स्थापित करने की व्यावहारिक रणनीतियों से परिचित कराया।
तीसरा और अंतिम सत्र “पावर ऑफ हैबिट्स” पर केंद्रित था। इस सत्र में आदत निर्माण के विज्ञान और दैनिक जीवन में छोटे लेकिन स्थायी बदलावों के महत्व को समझाया गया। प्रतिभागियों को नकारात्मक आदतें छोड़ने और सकारात्मक आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यशाला के विशेष अतिथि श्री आनंद नार्थक दास, जो सुद्धोवाला, देहरादून के हरे कृष्ण मंदिर के एक आध्यात्मिक नेता हैं, ने अपने व्याख्यान और संवादात्मक सत्रों से प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक जीवन के व्यावहारिक अनुप्रयोग से जोड़ा। उनके विचारों ने आत्म-अनुशासन, मानसिकता और आध्यात्मिक विकास के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे उपस्थित सभी लोगों को गहरी प्रेरणा मिली। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों, डीन, विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कुलपति प्रो. (डॉ.) राम करण सिंह ने उद्घाटन सत्र में अपने प्रेरक संबोधन में प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के समेकन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली संतुलित और पूर्ण जीवन जीने के लिए सदियों से मार्गदर्शन प्रदान करती आई है।
रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) रमेश चंद रामोला ने भारतीय दर्शन के वर्तमान युग में महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे आधुनिक चुनौतियों का समाधान बताया। आईसीएफएआई एजुकेशन स्कूल की डीन, डॉ. मीना भंडारी ने कार्यशाला के आयोजन और समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यशाला के इंटरएक्टिव सत्रों ने प्रतिभागियों को गहन चर्चा और प्रश्नोत्तर में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। इस आयोजन को सफल बनाने में आईसीएफएआई एजुकेशन स्कूल और IQAC के सहयोग से इसे कुशलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस कार्यशाला के परिणामस्वरूप, प्रतिभागियों ने भारतीय ज्ञान प्रणाली की गहरी समझ प्राप्त की और आत्म-अनुशासन तथा मानसिक स्पष्टता को अपनाने की प्रेरणा ली। इसके अलावा, यह शिक्षाएं उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरणादायक साबित हुईं। कुल मिलाकर, “भारतीय ज्ञान प्रणाली” पर यह कार्यशाला अत्यंत सफल रही। श्री आनंद नार्थक दास के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों को प्राचीन भारतीय शिक्षाओं की आधुनिक प्रासंगिकता को समझने का अवसर मिला। कुलपति प्रो. (डॉ.) राम करण सिंह ने कार्यशाला की सफलता को संतुलित और सार्थक जीवन के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। यह कार्यशाला भारतीय ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के अद्भुत समन्वय का प्रतीक बन गई, जो आईसीएफएआई विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को सशक्त करती है।