संतान का सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है, पर कुछ दंपति इस सुख का आनंद नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में वे कई बार बड़े अस्पतालों या क्लीनिक के चक्कर का
संतान का सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है, पर कुछ दंपति इस सुख का आनंद नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में वे कई बार बड़े अस्पतालों या क्लीनिक के चक्कर काटते हैं। ये सब करने पर भी उन्हें मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता है। ऐसे में आपको ज्योतिष शास्त्र का सहारा लेना चाहिए। कई बार इस समस्या का निवारण डॉक्टर नहीं पर ज्योतिष शास्त्र कर सकता है। तो जानते हैं किन वजहों से आपको संतान नहीं हो रही है और उसका हल भी।
पंचम भाव में पापी ग्रह
ज्योतिष में पंचम भाव रिलेशनशिप, लव लाइफ, संतान और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा होता है। इन सभी चीजों पर पंचम भाव का असर पड़ता है। ऐसे में पंचम भाव से संतान के बारे में पता लगाया जा सकता है। यदि कुंडली के पंचम भाव में क्रूर ग्रह है, तो आपके पंचम भाव से जुड़े सभी काम नहीं बनेंगे। आपकी लव लाइफ सक्सेज तो होगी पर आप निसंतान रहेंगे।
जिन दंपतियों के बच्चे नहीं हैं और वे डॉक्टर की क्लीनिक के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं तो इसकी वजह ज्योतिष शास्त्र में छिपी है। तो चलिए जानते हैं कि किस वजह से दंपति निसंतान रह जाते हैं।
ऐसे बनता है निसंतान योग
कुंडली के पंचम भाव पर मंगल, सूर्य और शनि की दृष्टि को शुभ नहीं माना जाता है। इसकी वजह से प्रेम संबंधों में खटास आ जाती है। कई बार तो दंपति के बीच तलाक तक बात पहुंच जाती है। इस तरह ये ग्रह जीवन में हलचल मचा देते हैं और निसंतान योग को भी साथ ले आते हैं।
पंचमेश का पापी ग्रहों से संबंध
पंचमेश का पापी ग्रहों या फिर क्रूर से संबंध होना या पापी ग्रहों की दृष्टि होना सही नहीं है। ऐसे में लव लाइफ, शादीशुदा लाइफ और दांपत्य जीवन में खटास आने लगती है। रिश्ते तो बिगड़ते ही हैं, साथ ही निसंतान होने के योग भी बन जाते हैं।
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